Posted by : Bhavar Garg Thursday, April 29, 2010


लीमथान-परशुराम ः भक्तों की पीड़ाओं का करते है नाश


बांसवाड़ा, भँवर गर्ग। लीमथान गांव स्थित भगवान श्री परशुराम मंदिर आमजन
की अगाध आस्था के केन्द्र है। लीमथान-परशुराम अनन्य भक्तों की पीड़ाओं
का नाश करते है और जीवन में खुशहाली लाते है। इसी कारण जिले भर के
गांव-गांव, ढाणी-ढाणी के श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिर के प्रति है।

वागड़ की अनमोल धरोहर है लीमथान का मंदिर

वागड़ के हर क्षेत्र में पुरा सम्पदा बिखरी पड़ी है। इसका हर कंकर शंकर
हैं और हर पहाड़ी कैलाश है। पुरातात्विक धरोहर की अथाह सम्पदा इसके चप्पे
पर बिखरी पड़ी है। मुगल काल और रियासत काल के स्थापत्य कला के अजूबे यहां
आनेवाले सैलानियों के दांतों तले अंगुली दबाने को मजबुर करते है। अरथूना,
मंगलेश्वर, त्रिपुरा सुन्दरी, लीमथान, जगपुरा, पाटन ऎसे ही स्थान है।

लोढ़ी काशी के नाम से विख्यात वाग्वरांचल की धरोहरों में ऎसी ही एक
विलक्षण धरोहर और स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है लीमथान का परशुराम
मंदिर।

जिला मुख्यालय से मात्र पन्द्रह किमी दूर लीमथान गांव में भगवान परशुराम
का मंदिर भी वागड़ की पुरातन सभ्यता की कहानी को बयां कता है। जनश्रुति
के अनुसार यह मंदिर अज्ञात था। 1980 के बाद इसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक
फैलने लगी।

भगवान परशुराम की तपस्या स्थली है लीमथान

त्रिपुरा रहस्य के अनुसार पृथ्वी को 21 बार क्षत्रिय विहीन करने के बाद
परशुराम ने पश्चाताप में त्रिपुरा सुन्दरी की बारह वर्ष तक आराधान की।

उन दिनों बियाबान जंगल और शांत वातावरण को लेकर परशुरामजी ने लीमथान को
अपनी तपस्या के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान समझा होगा।

बांसवाड़ा शहर के दक्षिण पश्चिम छोर पर नवागांव के निकट बने इस मंदिर से
त्रिपुरा सुन्दरी की दूरी मात्र 20 किमी है। यह स्थल आज भी प्रकृति की
सुन्दरता को सहेजे शांत वातावरण में पुण्य सलीला माही की बाई मुख्य नहर
के किनारे अवस्थित है।

पुरातन धरोहर को संयोए रखने अब तक किसी भी प्रकार के प्रयास नहीं किए गए
है। इससे यह पौराणिक स्थल अपनी अवदशा पर आंसू बहाता प्रतीत हो रहा है।
मंदिर में प्रतिष्ठित परशुराम की प्रतिमा बहुत ही दुर्लभ है।

सात चिरंजीवी में से एक भगवान परशुराम का जिले में एक मात्र मंदिर है।
भगवान शंकर के एकमात्र शिष्य श्री परशुराम का जन्मोत्सव सोमवार को होने
से इस बार यहां दर्शनार्थियों की खासी भीड़ रहेगी।

श्री परशुरामजी का स्वरूप जितना क्रोध और ेज को लिए है उतना ही कोमल और
सहृदय भी है। क्षेणे रुष्टा, क्षणे तुष्टा के लक्षणों से युक्त भगवान
परशुराम ब्राह्मणों के आदर्श चरित्र है।

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(भँवर गर्ग)

{ 2 comments... read them below or Comment }

  1. Bhagwan Parashuram ka Prachin Mandir Ghazipur (UP) me bhi hai

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  2. Gopal ji Namaskar,

    With the ashirwad and shubh-iccha of all my fellow Bharatiya, have commenced research work on Bhagwan Sri Parshuram, any mind who knows what ever little or more about Bhagwan Sri Vishnu’s 6th Avatar; please pour the nectar in my mind too, as I wish not to miss any element of his, let us all bear in mind; that the 10th Avatar of Bhagwan Sri Vishnu “Sri Kalki” will gain all its martial wisdom from nun-other than Bhagwan Sri Parshuram.

    The English word Mythology is actually taking our youngsters away from “WISDOM” thus though they pray to our gods Bhagwan Sri Ram or Bhagwan Sri Krishna, they also are conditioned to say that it is mythological, the word coined from the Sanskrit word “Mithya”.

    My search for minds to connect to the energy that is theoretically taken or going to take birth, this research shall be the platform for all of us to come under his “Energies”.

    II Krishnam vande jagat guram II
    Dhanyawaad,

    Samjay S. Devkar

    sdevkar@gmail.com

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